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Monday, June 27, 2022

आशूर की शब हाय सकीना

 

 

आशूर की शब हाय सकीना का वो रोना

और सैय्यदे मज़लूम का बेटी से ये कहना

आरे तू रोए मैं ये देख नहीं सकता सकीना

अच्छी नहीं ये बात न रोया करो बीबी

पहलू में कभी मां के भी सोया करो बीबी


क्या होए किसी शब को जो हम घर में ना आएं

तुम हम को ना पाओ तुम्हें हम भी नहीं पाएं

तड़पोगी नहीं दर्द से ये वादा करो बीबी

पहलू में कभी मां के भी सोया करो बीबी


बैठा करो कुछ देर चराग़ो को बुझाकर

समझा करो इस ख़ाक को ऐ लाडली बिस्तर

बाली कभी यू ही नहीं पहना करो बीबी

पहलू में कभी मां के भी सोया करो बीबी



कुछ देर को ये फ़र्ज़ करो हम ना रहे गर

बाक़ी ना रहे हाथ कोई रखने को सर पर

माहोल यतीमो का भी सोचा करो बीबी

पहलू में कभी मां के भी सोया करो बीबी



आदत ज़रा तन्हाई में रहने की भी डालो

तस्वीर तसव्वुर में असीरी की बना लो

आज़ाद परिन्दो को न देखा करो बीबी

पहलू में कभी मां के भी सोया करो बीबी



असग़र को न मानूस करो प्यार से अपने

अकबर की उरूसी के न देखा करो सपने

सुग़रा के करीं इतना न बैठा करो बीबी

पहलू में कभी मां के भी सोया करो बीबी



जिंदान से रेहान सदा आती है अकसर

जैसे के सकीना से ये फरमाते हो सरवर

अब डर से लईनो के न जागा करो बीबी

पहलू में कभी मां के भी सोया करो बीबी