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Sunday, June 26, 2022

छोटे से सिन में क़ैदिए ज़िदान हो गई

 

जब शाम के ज़िंदान में हुई शाम हरम को 

इक आन-ना राहत थी-ना आराम हरम को 

हर बार टपकता था लहू अश्क़े रवां से

ज़िंदान लरज़ता था सकीना की फुग़ां से 

अल्लाह जाने कहां हो ऐ बाबा

कितनी राते गुज़र गई बाबा 

अल्लाह जाने कहा हो ऐ बाबा 


छोटे से सीन में क़ैदिए ज़िंदान हो गई

बाबा में क्यू ना आप पे क़ुर्बान हो गई 


अल्लाह जाने कहा हो ऐ बाबा 


दिल में जो मेरे दर्द है ख़ालिक पे है अयां

किसको कहूं मैं बाप मेरा बाप है कहां

तुम बे-कफन मैं बेसरो समान हो गई

बाबा में क्यू ना आप पे क़ुर्बान हो गई 


अल्लाह जाने कहा हो ऐ बाबा 


क्या क्या न खल्क कलमे हकारत के कह गई

मैं बेकसी से देखते मुंह सबका रह गई 

कुर्ता फटा हुआ मेरी पहचान हो गई

बाबा में क्यू ना आप पे क़ुर्बान हो गई 


अल्लाह जाने कहा हो ऐ बाबा 



गर आह की तो शिम्र पुकारा खमोश हो

और चुप हुई तो बेपदरी ने कहा के रो

इन आफतों में घिरके पेरशान हो गई

बाबा में क्यू ना आप पे क़ुर्बान हो गई 


अल्लाह जाने कहा हो ऐ बाबा 



बे जुर्म कान ज़ख्मी हुए और तमाचे खाये

जो चाहे मुझ फ़लक की साताई को फिर सताए 

शहजादीए-हुसैन की ये शान हो गई

बाबा में क्यू ना आप पे क़ुर्बान हो गई 


अल्लाह जाने कहा हो ऐ बाबा 



सदक़े गई बताओ कहां हैं मेरे पदर

आए पदर तो जाए सकीना भी अपने घर 

क्यों ऐसे ज़लीमों की मैं महमान हो गई

बाबा में क्यू ना आप पे क़ुर्बान हो गई 


अल्लाह जाने कहा हो ऐ बाबा 


पोती हूं उसकी जो के है कौनैन का अमीर

जिसने हज़ारो क़ैद से छुड़वा दिए असीर 

उम्मत नबी की देख के अनजान हो गई

बाबा में क्यू ना आप पे क़ुर्बान हो गई 


अल्लाह जाने कहा हो ऐ बाबा 


जब सर पे शाहे दीं के सकीना ने की नज़र

चिल्लाई रोके हाय गज़ब मर गए पदर

बाबा के सर को देखे हैरान हो गई

बाबा में क्यू ना आप पे क़ुर्बान हो गई 


अल्लाह जाने कहा हो ऐ बाबा 


मुह रख के मुह पे शाह को रोई जो दिल फ़िगार

सदमा हुआ निकलने लगी तन से जां निसार 

नन्ही सी जान जान से बेजान हो गई

बाबा में क्यू ना आप पे क़ुर्बान हो गई 


अल्लाह जाने कहा हो ऐ बाबा 


बस ऐ "अनीस" बज़्म में है गिरयाओ बुका

सदियों तलक रूलाएगा सबको ये मर्सिया 

बाली सकीना कर्ब का उनवान हो गई

बाबा में क्यू ना आप पे क़ुर्बान हो गई 


अल्लाह जाने कहा हो ऐ बाबा