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Tuesday, June 28, 2022

क्या मुझे छोड़कर

  

हाय अम्मा अरे सुनो अम्मा अरे आपसे मैं बयान दिल का हाल करूं

दिल में उठता है जो इक सवाल करूं


क़ैद से जब रिहाई हरम पाएंगे 

क्या मेरी क़ब्र पर फिर नहीं आएंगे

सिर्फ रंजो आलम मुझको तड़पाएंगे


क्या मुझे छोड़ कर सब चले जाएंगे


क़ैद से जब रिहा हराम पाएंगे


क्या मुझे छोड़ कर सब चले जाएंगे 


क्या इसी क़ैद में घुट के मर जाऊंगी

क्या मैं दो गज़ कफन भी नहीं पाऊंगी

मैले कुर्ते में क्या मुझको दफ़नाएंगे


क्या मुझे छोड़ कर सब चले जाएंगे  


सर से पांव तलक मैं लहू में हूं तर

मेरा ज़ख़्मों भरा ये बदन देख कर

सिर्फ़ ज़ालिम नहीं ज़ुल्म पछताएंगे


क्या मुझे छोड़ कर सब चले जाएंगे 


शाम वाले करेंगे अभी कुछ सितम

मुझको खाए चला जा रहा है ये ग़म

ये मेरी क़ब्र पे शिम्र को लाएंगे


क्या मुझे छोड़ कर सब चले जाएंगे  


देख कर ज़ख्म बाबा के घबराई मैं 

हश्र में बाप के पास जब आई मैं 

देख कर मुझको बाबा भी घबराएंगे


क्या मुझे छोड़ कर सब चले जाएंगे 


कर्बला है कहां और कहां शाम है

न मुझे चैन ना उनको आराम है

वो मुझे करबला रोज़ बुलाएंगे


क्या मुझे छोड़ कर सब चले जाएंगे 


कर्बला जाके बाबा से ये पूछना

हश्र में उनसे जब हो मेरा सामना

क्या मुझे अपने सीने से लिपटाएंगे


क्या मुझे छोड़ कर सब चले जाएंगे 


कहना सुग़रा से अपना चमन मिल गया

हो मुबारक तुम्हें तो वतन मिल गया

हश्र तक हम मुसाफिर ही कहलाएंगे


क्या मुझे छोड़ कर सब चले जाएंगे 

    

शाम में ही मेरी शाम हो जाएगी

ये कहानी अगर आम हो जाएगी 

बाप बेटी से कब प्यार फ़रमाएंगे


क्या मुझे छोड़ कर सब चले जाएंगे 

    

हम न फ़नकार है और न एहले क़लम

है ये फरहानो शौकत पे उनका करम

हम से शब्बीर नौहा कहलवाएंगे


क्या मुझे छोड़ कर सब चले जाएंगे