header 2

Tuesday, April 12, 2022

हाय सुग़रा के भरे घर ने

 

हाय सुग़रा के भरे घर ने वतन छोड़ दिया

छे महीने के बरादार ने वतन छोड दिया


जिस ज़मी पर कभी रहते थे रसूलुस्सक़लैन

जिसमे पाले गए बचपन में हसन और हुसैन

उस मदीन के मुकद्दर ने वतन छोड़ दिया


कैन है किस के सहेरे पे रहेगी सुग़रा

अब किसे प्यार करे किस को झुलाए झूला

छे महिने के बरदार ने वतन छोड दिया


अब फ़िज़ाओं में भी आवाज़े फुगां आने लगी

जिसके जाने से बहारों में खिजा आने लगी

कौन से ऐसे गुलेतर ने वतन छोड दिया


चाहती थी ये बहन भाई के बांधे सेहरा

माँ का अरमान था बेटे को बनाए दूल्हा

इस से पहले अली अकबर ने वतन छोड दिया


जाके इस शहर से अब कौन है आने वाला है

रौनक़े शामो सहर ले गया जाने वाला

यानी हम शक़्ले पयम्बर ने वतन छोड़ दिया


सब को मंज़ूर था हाय तने बेसर होना

देख सकते थे न इस्लाम को बेसर होना

जा निसाराने बहत्तर ने वतन छोड़ दिया


रोज़े आशूर वो ज़ैनब का बुलाना मौला

दश्ते गुरबत में मदद के लिए आना मौला

या अली आप की दुख़्तर ने वतन छोड़ दिया


ज़ुल्म से जिसको वतन जाने की मोहलत ना मिली

खा गई बाली सकीना को ग़रीबुल वतनी

दुख़्तरे सिब्ते पयंबर ने वतन छोड़ दिया


जिसका हो जाएगा ताराज चमन जंगल में

जिसके लाशे को मिलेगा न कफन जंगल में

हां उसी सिब्ते पयंबर ने वतन छोड़ दिया


ज़ुल्म ने चैन से रहने न दिया जिसको कलीम

क़तराए आब मायस्सर न हुआ जिसको कलीम

प्यास के ऐसे समंदर ने वतन‌ छोड़ दिया