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Friday, December 10, 2021

dastane shuja,at ka

 


दासताने शुजात का दारैन में 

एक बे मिस्ल किरदार अब्बास है

हैं अली के अठारा ही बेटे अली 

पर सभी में अलमदार अब्बास है


साहिबे तख़्ते अक़लीन ग़ैरत है ये 

और चिराग़े हरीमे शराफ़त है ये

दौरे शहवारे बहरे सख़ावत है ये 

हक़ तो ये है कि हक़ की हक़ीकत है ये

वो दुआएं जो बीबी ने सजदों में की 

उन दुआओं का मेयार अब्बास है


दास्तान ए शुजात का दारैन में 

एक बे मिस्ल किरदार अब्बास है


इनके लहजे में हाशिम की हशमत भी है

इनके तेवर में हमज़ा की हैबत भी है

हर अदा इनकी इमरान का अक्स है 

इनकी बाहों जफ्फार की ताक़त भी है

प्यार है मुस्तफ़ा का हुसैनो हसन

और हसनैन का प्यार अब्बास है


दास्तान ए शुजात का दारैन में 

एक बे मिस्ल किरदार अब्बास है


नस्ल-ए-अज़मत का शीरी समर है यही

इस्मातों के सदफ के गौहर है यही 

नूर की सिद्रतुल मुंतहा है यही 

हाशिमी असमां का क़मर है यही 

जिन के साए में अकबर भी पलते रहे

हुस्न का ऐसा मीनार अब्बास है


दास्तान ए शुजात का दारैन में 

एक बे मिस्ल किरदार अब्बास है


हलअता इन्नमा की जो मिसदाक़ है

वो भी गाज़ी के आने की मुश्ताक़ है

अर्श से फर्श तक इनकी जागीर है

सारी मख़लूक़ इनकी गदा गीर है

जो अली की शुजाअत का वारिस भी है

ऐसा आला ज़मीदार अब्बास है


दास्तान ए शुजात का दारैन में 

एक बे मिस्ल किरदार अब्बास है