मोमिनो बेकसो यार है मज़लूम हुसैन
सख़्त आफ़त मे गिरफ़तार है मज़लूम हुसैन
क्या सरा सीमतो नाचार है मज़लूम हुसैन
दिल शिकस्ता जिगर अफ़गार है मज़लूम हुसैन
नेज़े कारी हैं लगे ज़ख़्म पे शमशीरों के
नेज़ों के ज़ख़्म में पेवस्त है फल तीरों के
तन से गर खींचते हैं एक भी पैका शब्बीर
इतने अरसे में लगाते हैं लयीं सैकड़ों तीर
खाके नेज़ों को अगर करते हैं क़स्दे तकबीर
पास से नेज़ा लगाते हैं वहीं पर बे पीर
एक पैकान जो सीने से गुज़र जाता है
ख़ून को रोकने को दूसरा तीर आता है
क्या रहीमी है के ग़ुस्सा नहीं आता है ज़रा
क्या करीमी है के सर करते हैं उम्मत पे फ़िदा
क्या तहम्मुल है के हर ज़ख़्म पे है शुक्रे ख़ुदा
क्या शुजाअत है के लाखों में खड़ा है तन्हा
तीर भी नेज़े भी सीने पे लिए जाते हैं
पर दुआ नाना की उम्मत को दिए जाते हैं
दिल का ये हाल है सिपर मुर्दा हुआ जाता है
एक दरिया है के ज़ख़मों से बहा जाता है
एक दम में जो कई बार ग़श आ जाता है
कोई बरछी कोई तलवार लगा जाता है
नेज़ा एक एक जिगर में जो क़रीबे दिल है
सांस की आमदो शुद सीने में क्या मुश्किल है
सीना ज़ख़्मी है बदन जख़्मी कलेजा ज़ख़्मी
उंगलियां ज़ख़्मी है और साअद(कलाई) ज़ीबा(चेहरा) ज़ख़्मी
होठ ज़ख़्मी है गला ज़ख़्मी है माथा ज़ख़्मी
नाम किस अज़ो का लूं मैं हैं सरापा ज़ख़्मी
पूछिए उस से जो दो रोज़ का प्यासा होए
ऐसे ज़ख़्मी को जो पानी न मिले क्या होए
क़त्ल की अपने ख़बर देते हैं शाहे ख़ुशख़ू
कभी कहते हैं कि अब चर्ख से बरसेगा लहू
अब कोई आन में खोलेंगी मेरी मां गेसू
अब कोई दम में कटेगा शहे बेकस का गुलू
ऐसे प्यासे के सरो तन में जुदाई होगी
अब कोई आन में फ़ैसल ये लड़ाई होगी
अब कोई दम में लुटेगा किसी बेकस का घर
किसी बेकस की बहन होएगी अब नंगे सर
हैफ़ सद हैफ़ के बिन बाप की कोई दुख़्तर
शिम्र के हाथ से खाएगी तमाचे मुंह पर
क़त्ल के बाद कटेंगे किसी नाचार के हाथ
बेगुनाह आज बंधेगे किसी बीमार के हाथ
देखिए किस पे पड़े आहे जनाबे ज़हरा
इंतेहा देखिए इस ज़ुल्म की होती है क्या
देखिए हश्र हो दुनिया में के नाज़िल हो बला
वाक़ए हादसा तो होएगा ऐसा ही बड़ा
पूछते हैं जो अदूं शाह से क्या होएगा
शाह कहते हैं वो होगा कि नबी रोएगा
अशक़िया कहते हैं क्या फ़िक्र है इसकी हमको
तुम ही सय्यद तुम्ही बेकस हो इमामे ख़ुशखू
ज़ुल्म गुज़रेगा ये सब तुम पे कहा है जो जो
गर बला आये तो आये जो क़यामत हो तो हो
आप गर ज़िबह तहे तेग़े जफा होवेंगे
फ़ातेमा रोए़गी कुछ हम तो नहीं रोएंगे
हम तो ख़ुश होके तुम्हे ज़िबह करेंगे शब्बीर
हां नबी रोएंगे जब तुम पे चलेगी शमशीर
हम को क्या ज़ैनबो कुलसूम अगर होंगी असीर
क़ब्र में होएगा अहवाल अली का तग़ीर
नंगे सर कूफे में ज़ैनब को जो ले जाएंगे
क़ैद के रस्म हैं जो जो वो बजा लाएंगे
इस लिए रोते हो पानी कोई देवे इस दम
हासिल इस कहने से ये है के न सर होवे कलम
सो ये उम्मीद न तुम हम से रखो हक़ की क़सम
ख़ून के प्यासे हैं देंगे न तुम्हे पानी हम
आप साबिर हैं तो फिर ख़ौफ है क्या मरने का
रोइये आप कोई रहम नहीं करने का
शह ने फ़रमाया ख़ुदा से डरो क्या कहते हो
हाशा लिल्लाह के पानी की नही मुझको चाह
कितने बेदर्द हो तुम लोग भी व इल्ला बिल्लाह
मुझको बे सब्र न कहना ये ख़ता है ये गुनाह
ये तो समझो कोई नाती भी भला रोता है
टुकड़े अकबर की जुदाई से जिगर होता है
कौन होता नहीं फ़रज़न्द के मरने से मलूल
वही समझे जिसे ये दाग़ हुआ होए हुसूल
किस तरह रोए न अकबर को जिगर बंद बुतूल
इक तो फ़रज़न्द मरा दूसरे हमशक़्ले रसूल
होश किस शख़्स के इस ग़म में बजा रहते है
पूछो तो साहिबे औलाद से क्या कहते हैं
जिसका मरता है पिसर सब उसे समझाते हैं
याकि इस तरह की ईज़ा उसे पहुंचाते हैं
मुबतिला दुख में जो हो उस पे तरस खाते हैं
याकि पानी के लिए भी उसे तरसाते हैं
है गिला तुम से नहीं पानी दिया या न दिया
हैफ़ अकबर का किसी ने मुझे पुरसा न दिया
सामने अहमदे मुरसल के अगर मैं मरता
क्या मेरे नाना को तुम देते न मेरा पुरसा
न सुना फ़िर मुझे तुम समझे न भूखा प्यासा
न मुसलमां न नबी ज़ादा न महमां अपना
हैफ़ तुम लोग न मुझको किसी क़ाबिल समझे
तुमसे महशर में मेरा ख़ालिके आदिल समझे
सब्र अय्यूब का क़ुरआं मे सुना है हर जां
नीश लेकिन दिले अय्यूब में जिस वक़्त लगा
आह अय्यूब ने की ज़ब्त का यारा न रहा
चश्मे इंसाफ से देखो तो कलेजा मेरा
ज़ख़्म कितने हैं अयां दाग़ हैं तन्हा कितने
नेज़े कितने हैं लगे सीने में पैकां कितने
चश्मे याक़ूब से जिस वक़्त हुआ यूसुफ दूर
इस क़दर रोये कि आंखें हुई दोनो बे नूर
मै जो रोया अली अकबर को मेरा क्या है क़ुसूर
मगर इन्साफ है इस दौर का मुनसफ के हुज़ूर
ज़िन्दा याक़ूब ने फिर अपने पिसर को देखा
मैंने ज़ख़्मी अलीअकबर के जिगर को देखा
किसको दुनिया में नहीं है मेरे रुतबे की ख़बर
अहदे तिफ़ली में मुझे आरज़ा होता था अगर
आते थे मेरी अयादत के लिए पैग़म्बर
मेरी सेहत के लिए रखते थे रोज़ा अकसर
मैं तो उम्मत पे फ़िदा करता हूँ सर को अपने
मुझपे सदक़े किया नाना ने पिसर को अपने