🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ अल्लाह क्या जिगर था जनाबे हुसैन का 🕊️
एक दो पहर में अपना भरा घर लुटा दिया
ज़ख़्मी बदन फिराक़े पिसर तिशनगी अलम
तनहाई फौजे शाम का नर्ग़ा नए सितम
अन्सारे अक़रुबा के बिछड़ने का दिल में ग़म
ख़ैमे से आ रहीं थीं सदाएं बुका बहम
जब आये इज़्न लेने को अब्बासे बावफ़ा
हसरत से उनको देख के शब्बीर ने कहा
जाओ सिधारो भाई निगेहबान है खु़दा
हम जानते हैं दूर नहीं आप से कज़ा
जिस वक़्त इस्तेग़ासाए अब्बास को सुना
जाते थे रन में ठोकरें खाते शहे हुदा
नगाह एक सिम्त में बाज़ू पड़ा मिला
दिल थाम कर हुसैन ने उसको उठा लिया
भाई के बाद रन में गया नौजवां पिसर
बर्छी ने टुकड़े कर दिया उसका दिलो जिगर
पहुँचे क़रीब लाश के और बैठे ख़ाक पर
बर्छी जिगर से खैंची तो हातिफ़ ने दी ख़बर
अय्यूब देखो सब्रे शहनशाहे करबला
तनहा जवान लाल का लाशा उठा लिया
लाशे को लेके खै़मे की जानिब जरी चला
देखा न होगा ऐसा किसी दिल का हौसला
सब फौज क़त्ल हो गई अब कोइ भी नहीं
नर्ग़ा किये हैं शाम के आदा उदूं ए दीं
बरसा रहे हैं तीरों को हर सिम्त से लायीं
हाथों पे अपने लाते हैं बानो का महजबीं
मैदां में शीरख़्वार को लाए ज्यों ही हुसैन
खोया सिपाहे शाम ने अपना सुकूनो चैन
पैका गले से लिपटा हुआ कर रहा था बैन
किस तरह से जुदा किया वो शाहे मशराक़ैन
दफ़ना के शीरख़्वार के लाशे को शाहेदीं
आये ख़्यामे ज़ैनबो कुल्सूम के करीं
लिपटी सकीना क़दमों से दिल सोग था हज़ीं
बाबा न आप जाइए कहती थी महजबीं
लिपटा के अपनी बेटी को सरवर ने ये कहा
सब हो गए अनीसो अइज़्ज़ा मेरे जुदा
हम जाएं क़त्लगाह है ये मर्जिए खुदा
रन को सिधारे कहते हुए शाह अलविदा
लिपटा के अपनी बेटी को सरवर ने ये कहा
सब हो गए अनीसो अइज़्ज़ा मेरे जुदा
हम जाएं क़त्लगाह है ये मर्जिए खुदा
रन को सिधारे कहते हुए शाह अलविदा