header 2

Sunday, June 22, 2025

सकीना की ये सदा है चचा नहीं आए

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ सकीना की ये सदा है चचा नहीं आए 🕊️

अंधेरा बढ़ने लगा है चचा नहीं आए



अलम फुरात से बाबा के हाथ भेज दिया

मगर ये माजरा क्या है चचा नहीं आए


पड़े हैं प्यास की शिद्दत से हल्क़ मे कांटे

मगर लबों पे सदा है चचा नहीं आए


इसीलिए तो सितम और बढ़ गए हम पर

यज़ीदियों को पता है चचा नहीं आए


तमाम ज़ख़्म सकीना के दिल पे ताज़ा हैं

ये ज़ख्म सबसे हरा है चचा नहीं आए


रिदाएं छिन गई ख़ैमे जलाए जाते हैं 

हरम पे वक़्त पड़ा है चचा नहीं आए


गिरे हैं ख़ाक पे जो इंतेज़ार के आंसू

उन आंसुओं ने लिखा है चचा नहीं आए


ना जाने कौन सी ऐसी ख़ता हुई हम से

अकेला छोड़ दिया है चचा नहीं आए


किया सकीना से जो भी सवाल अस्र के बाद

यही जवाब दिया है चचा नहीं आए।


मिला जो पानी सकीना को दस्ते ज़ैनब से

यही सवाल किया है चचा नहीं आए


कहां ये शाम का ज़िदां कहां वो कर्बोबला

यहां भी ध्यान लगा है चचा नहीं आए




सुरूर आ गए आंखों में ख़ून के आंसू

ये नौहा जब भा सुना है चचा नहीं आए