🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ सय्यदे सज्जाद हैं दो मरहलों के दरमियां 🕊️
एक तरफ नेज़ों पे सर हैं एक तरफ सैदानियां
मारता है कोई कोड़े कोई पथ्थर बार बार
ख़ून के आंसू रुलाते हैं मुसलसल नाबुकार
खून में डूबा हुआ है हाय जिस्मे नातवां
मलकाए शर्मो हया बज़ार में है नंगे सर
अपनी मर्जी से अगर जाए भी तो जाए किधर
सांस लेने पर लगी है ज़ुल्म की पाबन्दियां
किस तरफ देखे न देखे किस तरफ बैचैन है
ज़ुल्म की ज़द में शहीदे हक़ का नूरे एन है
हथकड़ी हाथों में है और पांव में है बेड़ियां
कोई भी करता नहीं इमदाद देता है सदा
करबला का करके रुख़ सज्जाद देता है सदा
सुन के रो देती हैं नाक़ो पर खुले सर बीबियां
देखता है पहले हसरत से सकीना की तरफ
बाद उस के फिर सरे शाहे मदीना की तरफ
रोके फ़िर कहता है बाबा मर न जाए नीम जां
इस से बढ़के क्या सितम होगा भला मज़लूम पर
फेकते हैं गुठलियां कुछ अहले शर कुल्सूम परऔर दोहरातें कुछ कर्बोबला की दास्तां