🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ भइया अकबर भइया अकबर 🕊️
नहीं आते तो ये ग़म होता है
एक दिन रोज़ मेरी उम्र का कम होता है
आ जाओ मेरे भइया लिल्लाह चले आओ
बीमार बहन पर तुम लिल्लाह तरस खाओ
एक दिन रोज़ मेरी उम्र का कम होता है
भइया अकबर भइया अकबर
आरज़ू ये है जो बिछड़े हैं उन्हे पाकर मरूं
अपनी आगोश में बेशीर को बहला के मरूं
मौत बरहक़ है मगर करबोबला जाके मरूं
आ जाओ मेरे भइया लिल्लाह चले आओ
बीमार बहन पर तुम लिल्लाह तरस खाओ
एक दिन रोज़ मेरी उम्र का कम होता है
भइया अकबर भइया अकबर
घर भी लगता लहद ऐसी ये तनहाई है
बेकसी मुझको ये किस मोड़ पे ले आई है
मौत नज़दीक है और दूर मेरा भाई है
आ जाओ मेरे भइया लिल्लाह चले आओ
बीमार बहन पर तुम लिल्लाह तरस खाओ
एक दिन रोज़ मेरी उम्र का कम होता है
भइया अकबर भइया अकबर
भाई के साथ में बहना भी मुझे भूल गई
मेरे एहसास की दुनिया भी मुझे भूल गई
ऐसा लगता है सकीना भी मुझे भूल गई
आ जाओ मेरे भइया लिल्लाह चले आओ
बीमार बहन पर तुम लिल्लाह तरस खाओ
एक दिन रोज़ मेरी उम्र का कम होता है
भइया अकबर भइया अकबर
जाने कब भाई मेरा लौट के घर आएगा
जाने कब घर में मुझे चांद नज़र आएगा
जाने कब मेरी दुवाओं मे असर आएगा
आ जाओ मेरे भइया लिल्लाह चले आओ
बीमार बहन पर तुम लिल्लाह तरस खाओ
एक दिन रोज़ मेरी उम्र का कम होता है
भइया अकबर भइया अकबर
कब सहर होती है कब शाम खबर कुछ भी नहीं
क्या है इस हिज्र का अन्जाम खबर कुछ भी नहीं
हां किसे कहते हैं आराम ख़बर कुछ भी नहीं
आ जाओ मेरे भइया लिल्लाह चले आओ
बीमार बहन पर तुम लिल्लाह तरस खाओ
एक दिन रोज़ मेरी उम्र का कम होता है
भइया अकबर भइया अकबर
याद बेशीर को करतीं हूं दवा से पहले
ये दोआ करती हूँ हर इक दोआ से पहले
उनको आना है तो आ जाएं कज़ा से पहले
आ जाओ मेरे भइया लिल्लाह चले आओ
बीमार बहन पर तुम लिल्लाह तरस खाओ
एक दिन रोज़ मेरी उम्र का कम होता है
भइया अकबर भइया अकबर