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Saturday, June 21, 2025

मश्क दरिया से भर के आ न सकी

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ मश्क दरिया से भर के आ न सकी 🕊️

फिर सकीना चचा को पा न सकी



हाय ज़िन्दाने शाम के आगे

ज़िन्दगी के सफर पे जा न सकी


बाप से छूट कर सकीना को

मौत तो आई नींद आ न सकी


जानती थी चचा न आएंगे

देखती रह गई बुला न सकी


अपने भाई की नन्ही तुरबत पर

आंसुओं के दिए जला न सकी


सबने कानों के ज़ख़्म तो देखे

दिल के ज़ख़्मों का ख़ू दिखा न सकी


उसने देखा तड़प के सूए फुरात

जब तमाचे सकीना खा न सकी


ग़म उठाए थे इस क़दर दिल पर

अपनी सांसों का बोझ उठा न सकी


जिस बहन को वतन में छोड़ा था

उस बहन को गले लगा न सकी


क्या क़यामत गुज़र गई दिल पर

ख़ून तो रोई कुछ बता न सकी



जब सकीना की याद आई सुरूर

रात भर रोए नींद आ न की