🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ मश्क दरिया से भर के आ न सकी 🕊️
फिर सकीना चचा को पा न सकी
हाय ज़िन्दाने शाम के आगे
ज़िन्दगी के सफर पे जा न सकी
बाप से छूट कर सकीना को
मौत तो आई नींद आ न सकी
जानती थी चचा न आएंगे
देखती रह गई बुला न सकी
अपने भाई की नन्ही तुरबत पर
आंसुओं के दिए जला न सकी
सबने कानों के ज़ख़्म तो देखे
दिल के ज़ख़्मों का ख़ू दिखा न सकी
उसने देखा तड़प के सूए फुरात
जब तमाचे सकीना खा न सकी
ग़म उठाए थे इस क़दर दिल पर
अपनी सांसों का बोझ उठा न सकी
जिस बहन को वतन में छोड़ा था
उस बहन को गले लगा न सकी
क्या क़यामत गुज़र गई दिल पर
ख़ून तो रोई कुछ बता न सकी
जब सकीना की याद आई सुरूर
रात भर रोए नींद आ न की