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Sunday, June 22, 2025

हिला के शाना ये कहता थी मां अली अकबर

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ हिला के शाना ये कहता थी मां अली अकबर🕊️

सहर का वक़्त है दे दो अज़ा अली अकबर




ख़ुदा के वास्ते ऐ मौत कुछ तरस खा ले

कि अभी है मेरा कड़ियल जवां अली अकबर


ख़बर ये होती कि ये चांद छिपने वाला है

मैं अपने सीने पे रखती सिना अली अकबर


फुफी ने पाला था झूला झुला के लाल तुझे

है उनके हाथ में अब रेसमा अली अकबर


जो मुझसे पूछेगी सुग़रा कहां गया भइया

कहां से ढ़ूढ़ के लाएगी मां अली अकबर


मिली जो ख़ाक मे अट्ठारह साल की मेहनत

उठाई मां ने बड़ी सख़्तियां अली अकबर




तुम्हारे ग़म के वसीले से आज ज़ीनत ने

लिखी है दर्द भरी दांस्तां अली अकबर