🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ हाय हैदर के जनाज़े पे अजब मंज़र था 🕊️
बेटियां क़दमों से लिपटी थीं बसद आहो बुका
बढ़के शब्बीर ने जो चेहरे से कफ़न बंद किया
देखकर भाई के चेहरे को ये ज़ैनब ने कहा
बढ़के शब्बीर ने जो चेहरे से कफ़न बंद किया
देखकर भाई के चेहरे को ये ज़ैनब ने कहा
रुख़ से इक बार कफ़न और हटा दो भइया
मेरे बाबा का मुझे चेहरा दिखा दो भइया
आज बाबा जो मेरे घर से चले जाएंगे
फिर मुझे शामे ग़रीबां में नज़र आएंगे
इतने दिन कैसे गुज़ारूंगी बता दो भइया
हाय शब्बीर से ज़ैनब ने कहा रो रोकर
सूना लगता है अमामे के बिना बाबा का सर
सर पे बाबा के अमामा तो सजा दो भइया
आ रही होगीं बक़ीहे से सदा सुनके मेरी
सर पे बाबा के न पड़ जाए नज़र अम्मा की
ज़ख़्म अम्मा की निगाहों से छिपा दो भइया
ख़ून बाबा की जबीं से वो गिरा था जिसपे
अपने बाबा की निशानी मैं बना लूंगी उसे
मेरे बाबा का मुसल्ला मुझे ला दो भइया
अपने बाबा की निशानी मैं बना लूंगी उसे
मेरे बाबा का मुसल्ला मुझे ला दो भइया