🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ चले जो रन को तो अब्बास ने कहा दिलबर🕊️
तमाम कुनबे को अब तुम पे छोड़ा ऐ अकबर
किया था माँ से जो वादा उसे वफ़ा करने
गु़लाम जाता है अक़ा पे जां फिदा करने
हमारी मौत का है देखना तुम्हें मंज़र
ज़यीफ भाई ने लाशे उठाये हैं दिन भर
न देना भाई को ज़हमत हमारे लाशे पर
हमारे मरने से टूटेगी शाहेदीं की कमर
जनाबे ज़ैनाबो कुलसूम की रिदा होना
ज़यीफ बाप की पीरी का तुम असा होना
ख़याल सिब्ते पयंबर रहे अली अकबर
ऐ लाल अपने चचा पर करम ये फरमाना
मेरी ख़बर न सकीना को मेरी पहुंचाना
न जी सकेगी मेरे बाद शाह की दुख़तर
कहा हुसैन के क़दमो में तुमको रहना है
तुम्हे भी जाम शहादत का लाल पीना है
तुम्हे भी खून में देखेंगे तरबतर सरवर
तुम्हारी लाश पे जब आएगा गरीब पिदर
गमों से चूर बहुत होगा तब दिले सरवर
छुपाना बाप से ऐ लाल अपना ज़ख़्मे जिगर
सवाल उठता है रह रह के ज़हन मे अकसर
दिलासा कैसे दे मौला को आमजदो पैकर
ग़ुरूब हो गए मौला के सारे शम्सो क़मर