🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ अकबर ने कहा रोकर ऐ दर्द ज़रा थम जा 🕊️
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं
ऐ बहते लहू रुकजा (x2) है वास्ता सुग़रा का
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं
अकबर ने कहा रोकर ऐ दर्द ज़रा थम जा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं (x2
पट्टी मेरे बाबा ने आँखों पे नहीं बांधी
दी है खुले आँखों से रन में मेरी कु़र्बानी
ऐ दादा ख़लील आओ है वक़्त क़यामत का
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं
अकबर ने कहा रोकर ऐ दर्द ज़रा थम जा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं (x2
यसरब की तरफ आँखे हर दम मेरी रहती हैं
अब वक़्त बहुत कम है साँसें भी उलझती हैं
क़ासिद मेरी सुग़रा के जल्दी से ज़रा आजा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं
अकबर ने कहा रोकर ऐ दर्द ज़रा थम जा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं (x2)
अकबर की गुज़ारिश है लिल्लाह न रद करना
जब आप का शेवा है दुनिया की मदद करना
बाबा की मदद करने आजाइये ऐ दादा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं
अकबर ने कहा रोकर ऐ दर्द ज़रा थम जा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं (x2)
देखा नहीं जाएगा आँखों से कभी मेरी
तड़पूंगा अगर मैं तो तकलीफ उन्हें होगी
उलफत का तक़ाज़ा है लरज़े ना बदन मेरा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं
अकबर ने कहा रोकर ऐ दर्द ज़रा थम जा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं (x2)
अरमान जो दिल में हैं दिल में ही न दफना दे
ऐसा न हो ज़ैनब को जाकर कोई बतलादे
प्यारी फुफी अम्मा से बर्दाश्त न ये होगा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं
अकबर ने कहा रोकर ऐ दर्द ज़रा थम जा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं (x2)
मरने का नहीं है ग़म ग़म है तो बस इतना है
दरवाज़े पे मुद्दत से बैठी हुई सुग़रा है
सुन कर ये ख़बर शायद मर जायेगी वो दुखिया
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं
अकबर ने कहा रोकर ऐ दर्द ज़रा थम जा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं (x2)
कहता था तकल्लुम वो हिम्मत जो मेरी होती
ख़ुद अपने ही हाथों से मैं खीचता ये बर्छी
तकलीफ नहीं अपनी है दर्द मुझे इसका
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं
अकबर ने कहा रोकर ऐ दर्द ज़रा थम जा
बाबा मेरे सीने से सिना खींच रहे हैं (x2