🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI
🕊️ अज़ा तमाम है रिक़्कत करो अज़ादारों🕊️
हुसैन जाते हैं रुख़सत करो अज़ादारों
सफर का वक़त है मेहमा को अलविदा कहो
जुलूसे शाहे शहीदां को अलविदा कहो
उजड़ने वाले हैं कुछ देर में अज़ाख़ाने
किसी बहन को किसी मां को अलविदा कहो
ज़रीह तश्ना मुसाफिर की बढ़ने वाली है
इमाम बाड़ों की रौनक़ उजड़ने वाली है
बुझे हुए हैं दिए रो रही हैं दीवारें
जो मेहमा थी वो बीबी बिछड़ने वाली है
सरों पे गर्द है आंसू है आस्तीनो पर
उदास बैठे हैं सब मातमी ज़मीनों पर
रुला रहे हैं ये मुरझाए फूल सेहरों के
न ताज़िए है न पटके है शह नशीनों पर
कहां से आंख ये मंज़र अज़ा के लाएगी
ये खामोशी ये उदासी हमें रुलाएगी
जियेंगे कैसे ज़रीओ अलम से होके जुदा
न दिन को चैन न रातों को नींद आएगी
शहे हुनैन को कैसे कहें ख़ुदा हाफ़िज़
नबी के चैन को कैसे कहें खुदा हाफ़िज़
ये सोच सोच के आंखों में अश्क आए हैं
कि हम हुसैन को कैसे कहें ख़ुदा हाफिज़
सुकूत बज़्मे अज़ा का हमे रुलाएगा
खुद अपने घर का ही सन्नाटा हम को खाएगा
किसे ख़बर कि ये दिन फिर नसीब हो के न हो
जो अगले साल जियेगा वो ग़म मनाएगा
उदासियां सभी माओं के रुख़ पे छाई है
लबों पे बैन तो आंखों में अश्क़ लाई हैं
फुफी को देना है पुरसा तुम्हारे बाबा का
सकीना बीबी तुम्हारी क़नीज़ें आई हैं
तुम्हारी याद में बेचैन होते जाते है
तुम्हारे हिज्र में जां अपनी खोते जाते हैं
इन्हें भी देख लो झूले से ऐ अली असगर
ये बच्चे गोदी में माओं की रोते जाते हैं
जब आएगा किसी बर्छी का ध्यान रोएंगे
फज़ां में गूंजेगी जब जब अज़ान रोएंगे
तुम्हारे हिज्र में हम ऐ शबीहे पैगंबर
दिल अपना पीट के सारे जवान रोएंगे