header 2

Friday, June 20, 2025

छिनी सर से चादर जो अहले हरम के तो अब्बास सबको बहुत याद आए

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ छिनी सर से चादर जो अहले हरम के तो अब्बास सबको बहुत याद आए 🕊️

लगे जब सकीना के रुख़ पर तमाचे

तो अब्बास सबको बहुत याद आए




जलाने लगे जबकि ख़ैमे सितमगर

तो जलने लगा उस में आबिद का बिस्तर

नहीं आया कोई जो उसको बुझाने

तो अब्बास सबको बहुत याद आए


बियाबाने शामे ग़रीबां जो आई

और उन बेसहारों पे वहशत सी छाई

जिगर उनके दहले बदन सनसनाए

तो अब्बास सबको बहुत याद आए


दिया रात भर पहरा ज़ैनब ने कहकर

मैं हूं आज क़ासिम मैं हूँ आज अकबर

मगर शब में हैदर जो तशरीफ लाए

तो अब्बास सबको बहुत याद आए


पिन्हाने लगे जबकि आबिद को बेड़ी

भतीजे की जानिब फुफी कह के दौड़ी

ऐ ज़ालिम उसे छोड़ ईज़ा मुझे दे

तो अब्बास सबको बहुत याद आए


बंधी बाज़ुओं मे रसन बीबियों के

सुने ताने हर गाम पर ज़ालिमों के

ना ला पायी जब ताब रंजो मेहन से

तो अब्बास सबको बहुत याद आए


गयी शहरे कूफा में वो बन के कै़दी

कभी थी जो ज़ैनब वहां शाहज़ादी

मुक़द्दर ने उसको जो ये दिन दिखाए

तो अब्बास सबको बहुत याद आए


क़रीब आया बाज़ारे शाम आबे रश जब

कहा रोके जै़नब ने सज्जाद से तब

अली की ये बेटी कहां मुह छिपाए

तो अब्बास सबको बहुत याद आए


मुक़द्दर कज़ा शाम का कै़दख़ाना

न बिस्तर न तकिया न पानी न दाना

किसी तरह इक साल यूही गुज़ारे

तो अब्बास सबको बहुत याद आए


सकीना को मौत आई कै़दे सितम में

मचा एक कोहराम अहले हरम में

भला कौन तुरबत में मय्यत उतारे

तो अब्बास सबको बहुत याद आए




निशां नील का जब नबी को दिखाया

तो ज़ैनब ने वारिस के जुमला सुनाया

ये नाना की उम्मत के हैं कारनामे

तो अब्बास सबको बहुत याद आए