header 2

Thursday, August 15, 2024

हैं पांव में छाले गला भी बंधा है

सितम की हवाओं ने घेरा है मुझको  

कहां हो ऐ बाबा सकीना पुकारे  

मेरे ज़ख़्म बढ़ते ही जाते हैं बाबा  

तड़पती हूँ मैं अब आज़ीयत के मारे 

 


हैं पांव में छाले गला भी बंधा है  

सकीना का बाबा लहू बह रहा है  


है दुश्वार चलना ज़मीं तप रही है  

सकीना की ग़ुरबत क्या बाबा यही है  

जो आता है मुँह पर वही मरता है 


हैं पांव में छाले गला भी बंधा है  

सकीना का बाबा लहू बह रहा है  


दिलाएगा कौन अब सितमगार से चादर  

है जकड़ा हुआ बेड़ियों में बरादर  

उदूं हंस रहे हैं मेरा सर खुला है  


हैं पांव में छाले गला भी बंधा है  

सकीना का बाबा लहू बह रहा है  


मैं पंजों पे बाबा कहां तक चलूंगी  

लयीनों के ये ज़ुल्म कब तक सहूंगी  

यही सोंचकर दिल दहलने लगा है  


हैं पांव में छाले गला भी बंधा है  

सकीना का बाबा लहू बह रहा है  


मुझे शिम्र दुर्रे लगाता है बाबा  

जो छीने थे गौहर  दिखाता है बाबा  

यतीमी का एहसास अब हो गया है  


हैं पांव में छाले गला भी बंधा है  

सकीना का बाबा लहू बह रहा है  


गला घुट रहा है सितम की रसन से  

बचा लो ऐ बाबा मुझे इस घुटन से  

बदन मिस्ले माही तड़पने लगा है  


हैं पांव में छाले गला भी बंधा है  

सकीना का बाबा लहू बह रहा है  


कई बार जलती ज़मीं पर गिरी हूँ  

बड़ी मुश्किलों से ऐ बाबा खड़ी हूँ  

सहारा किसी ने न मुझको दिया है  


हैं पांव में छाले गला भी बंधा है  

सकीना का बाबा लहू बह रहा है  


जिसे देखो हाथों में लाता है पत्थर  

अज़ीयत मुझे दे रहे हैं सितमगर  

लहू में ये पैकर मेरा डूबता है  


हैं पांव में छाले गला भी बंधा है  

सकीना का बाबा लहू बह रहा है  


लबों से निकल कर सदा रो रही है  

सकीना के ग़म में क़ज़ा रो रही है  

यतीमी भी मुझ पे न महवे बुका है


हैं पांव में छाले गला भी बंधा है  

सकीना का बाबा लहू बह रहा है  

  

सदा गूंजती है यतीमा की अमजद  

मिटे सैफ़ ग़ुरबत सकीना की अमजद  

ना साया ना चादर ना पानी मिला है


हैं पांव में छाले गला भी बंधा है  

सकीना का बाबा लहू बह रहा है