हाय ग़रीबुल वतन ऐ असीर मेहन
अलविदा अलविदा अलविदा
ऐ हुसैन अलविदा ऐ हुसैन अलविदा
नैजों पे सर काट के हाए चढ़ाया गया
घोड़ों से पमाल तन तेरा कराया गया
लूट के सब मालो ज़र ख़ैमा जलाया गया
हाय ग़रीबुल वतन ऐ असीरे मेहन
बांधी जफ़ाकारों ने शानो में कस कर रसन
किस तरह हमशीर दे भाई को अपना कफ़न
छीन ली सर से रिदा हो गई बे बस बहन
हाय ग़रीबुल वतन ऐ असीरे मेहन
हथकड़ी और बेड़ियां तौके गिरां बार है
कितना असीरे मेंहन आबिदे बीमार है
लश्करे जोरो सितम जाने को तैय्यार है
हाय ग़रीबुल वतन ऐ असीरे मेहन
बिबियों पे जिस क़दर करते थे आदा जफा
उतना ही सैदानियां करती थी आहो बुका
दश्ते जफा में यही गूंज रही थी सदा
हाय ग़रीबुल वतन ऐ असीरे मेहन
बाली सकीना के जब शिम्र ने छीने गौहर
खूंन बहा इस क़दर हो गया सब कुर्ता तर
कहती थी आओ चाचा वक्त मदद है पिदर
हाय ग़रीबुल वतन ऐ असीरे मेहन