या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
देखो मज़ारे फातेमा कितना उदास है
या मज़लूमा, या मासूमा या ज़हरा
या मज़लूमा, या मासूमा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
देखो मज़ारे फातेमा कितना उदास है
बस एक निशाने संग ही तुरबत के पास है
महरूम चुमने से भी हर हक़ शनास है
बोल ऐ ज़माने देगा भला क्या जवाब तू
महशर में मुस्तफा के जब आएगा रूबरू
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
अल्लाह रे ये फ़ातेमा ज़हरा की बेकसी
एक शम्मा भी जलाने को आता नहीं कोई
तन्हा है एक गोशे में बेटी रसूल की
चारों तरफ मदीने में फैली है रोशनी
टूटी हुए मज़ार से लिपटी है बेकसी
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा - ये ज़हराम
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
बोल ऐ ज़माने क्या तेरे दामन में कुछ ना था
ज़हरा ने हर नमाज़ में दी है तुझे दुआ
तू एक टूटी क़ब्र ही ज़हरा को दे सका
जब देखते हैं उजड़ी हुई क़ब्रे सैय्यदा
लगता है जैसे धूप मैं बैठी है फातेमा
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा - या ज़हरा…।
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
ज़हरा वो ही के जिस के पिसर हैं हसन हुसैन
ज़हरा वो ही के जिस के हैं शौहर शहे हुनैंन
ज़हरा वो ही के जो दिले पैगंबरी का चैन
ऐसा लुटा ये चैन के घर बार लुट गया
एक दिल था फातेमा का जो 100 बार कट गया
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा - या ज़हरा…।
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
पहलू में आपके हैं हसन ज़ैनुल अब्दीन
बाक़र भी, और जाफरे सादिक़ भी है यहीं
हाय किसी की क़ब्र सलामत भी अब नहीं
महशर में अपना दर्द सुनएंगी फातेमा
उम्मत ने जो किया है बाताएंगी फातेमा
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा - या ज़हरा…।
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
ग़ुरबत रसूल ज़ादी की पढती है मर्सिया
हसरत से तकता रहता है रौज़ा रसूल का
आँखों में अश्क़ चीख़ते हैं वा मोहम्मदा
फर्शे अज़ा बिछाने को आ जाइए इमाम
ज़हरा का ग़म मनाने को आ जाइए इमाम
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा - या ज़हरा…।
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
बीबी तुम्हारे लाल के ग़मख्वार आए हैं
जाने कहां कहां से अज़ादार आए हैं
नौहा सुनाने आप के जव्वार आए हैं
ये आरज़ू थी अंखों से मट्टी लगाएंगे
सोचा ना था के फतेहा पढ़ने ना पाएंगे
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा - या ज़हरा…।
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
ज़व्वार चुप है सारा बक़य्या उदास है
कार्बोबला खामोश मदीना उदास है
हर एक नबी का चाहने वाला उदास है
बीबी को क़ब्र में भी सुकूं है ना चैन है
है पसलियों पे हाथ जुबां पर हुसैन है
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या मज़लूमा या ज़हरा
या मासूमा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा - या ज़हरा…।
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा
या ज़हरा या ज़हरा या ज़हरा