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Tuesday, July 26, 2022

ज़िदा रहे हुसैन तेरा ग़म मनाएंगे

 


ज़िंदा रहे हुसैन- 2


ज़िंदा रहे हुसैन अ. तेरा ग़म मनायेंगे 

ऐ फातेमा के लाल ये वादा निभाएंगे


घर में हमारे आएंगी मजलिस में फातेमा

फर्शे अज़ा के साथ ये दिल भी बिछाएंगे


झूले अमारियां ये शबीहे ये ताज़िये

तहज़ीबे ग़म से दर्द के मंज़र सजाएंगे


ये उनका है जुलूस जो प्यासे हुए शहीद

हम इसके रास्ते में सबीलें लगाएंगे


कहते हैं छोटे छोटे से बच्चे ये बाप से

एक रोज़ बाबा जान अलम हम उठाएंगे


कुछ देर ज़ुल्जाना मेरे दर पर रोक दो 

प्यासे की इस सवारी को पानी पिलाएंगे


बचपन से है दुआ के बनाएंगे घर जहां

आशूर ख़ाना घर में वहां हम सजाएंगे


घर में अगर हो नज़्रे सकीना तो है यक़ीं

उस नज़्र में सकीना के अम्मू भी आएंगे


किस शान के मिले हैं नमाज़ी हुसैन को

तीरों के सामने ये मुसल्ले बिछाएंगे


राहे हुसैनियत के शहीदों सलाम लो

तुम को ना अपने दिल से कभी हम भुलाएंगे


जो आसुओं को करते रहे नज़्र-ए-फातेमा

रूमाल-ए-फातिमा का तबर्रुक वो पायेंगे


बाद ए ज़हूर होगा मुहर्रम का ये हशाम

हम कर्बला इमाम के हमराह जाएंगे


नौहा भी है सफ़ीर-ए-आज़ा सरवर ओ हिलाल

जिस देश में भी जाएंगे नौहा सुनाएंगे