header 2

Tuesday, July 26, 2022

ऐ अज़ादारे हुसैनी

 


 ज़िंदा रहे - 3


ऐ आज़ादारे हुसैनी ये चलन ज़िंदा रहे

हां अज़ाखाने सजाने की लगन ज़िंदा रहे - 2


जब अज़ाखाना सजे तो दिल बने फ़र्शे अज़ा

धड़कनों में मातमे शाहे ज़मन ज़िंदा रहे


सब अज़ाखाने हमारे सब ही अपनी मजलिसें

ऐ दुआ ए सैय्यदा ये अपनापन ज़िंदा रहे


रोज़े आशूरा जूलूसे ग़म को क्या राहत से काम

याद में प्यासे असीरों की थकन ज़िंदा रहे


ऐ अज़ादारों चलो मश्क़ो अलम के साये में

ये तजम्मुल ये हशम ये बाकपन ज़िंदा रहे


जिस जगाह थी मौत आसां ज़िदगी दुश्वार थी

हा वहां ज़हरा के सारे गुलबदन ज़िंदा रहे


छोटे छोटे से अलम बच्चों के हाथों में रहें

दिल में ताबूते सकीना की चुभन ज़िंदा रहे


नोहाख्वां मातम के साये में सफ़र करते रहें

हर बयाज़े ग़म खुले हर अंजुमन ज़िंदा रहे


कर रहे हैं ये दुआ ज़ेरे अलम सरवर हिलाल

ऐ ख़ुदा ये ग़म बा फैज़े पंजतन ज़िंदा रहे