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Thursday, April 28, 2022

डर है कुल्सूम के चेहरे पे न

 

जब शाम के बाज़ार में सैदानियां आयीं

चादर की जगह ख़ाके सफर बालों पे लायीं

नागाह जब गाज़ी की नज़र कुल्सूम तक आई

सर ख़ाक पर अब्बास ने नेज़े से गिराया

डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


एक ग़य्यूर वफादार पे अब और सितम क्या होगा

जिसकी चादर का मुहाफ़िज़ था वही आज बे पर्दा

शाम वालों इसी एहसास से दौराने सफर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


गिर गई राह मे नाक़े से सकीना तो ये ज़ैनब ने कहा

इक चचा और भतीजी की मोहब्बत तो ज़रा देख ख़ुदा

पुश्ते नाक़ा पे संभलती नहीं शह की दुख़्तर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


शाम के लोग तमाशाई बने और तमाशा सदात

बेवतन और खुले सर हैं सरे राह करें क्या सदात

ख़ून आंखों से बहाते हैं शहे जिन्नो बशर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


आंधियों ख़ाक उड़ाओ के बने इस से हरम का पर्दा

गूंजी जब शाम की ग़मनाक फ़ज़ाओं में ये ज़ैनब की सदा

आसमा रोया ज़मीं रोई ज़मी ये कहकर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


चश्मे सज्जाद से बहने लगे उस वक़्त लहू के धारे

जब के मासूम सकीना को सितमगर ने तमाचे मारे

लाशा साहिल पे तड़पता है इधर और उधर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


रोने वालों सरे बाज़ार खुले सर है अली की बेटी

गिर गया फर्क़े वफादार जो नेज़े से तो हैरां थे शकी

पूछा आबिद से सितमगर ने बताओ क्योंकर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


साथ सदात के शहज़ादिए कौनैन सफर करती रही

नौहा करते हैं नबी ख़ाक उड़ाते हैं हसन और अली

हाय क्या वक़्त है रोते हैं सिना पर सरवर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


कभी लैला कभी फरवा कभी कुल्सूम कहे वावैला

चेहरा बालों से छुपाते हुए ज़ैनब ने यही रोके कहा

अम्मा फिज़्ज़ा ज़रा देखो तो ये ग़म का मंज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


नौहा लिखते हुए इरफान ये मज़हर ने कहा था रोकर

कौन किरतास पे ला सकता है औलादे पयंबर का सफर

रो दिए क़ल्बो जिगर एक ही मिसरा लिखकर

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का सर


डर है कुल्सूम के चेहरे पे न पड़ जाए नज़र

नोके नेज़ा पे ठहरता नहीं अब्बास का