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Sunday, April 3, 2022

ऐ अकबर ये सेहरा‌ सजाने के दिन‌ थे

 

ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे

कहां तेरी मय्यत उठाने के दिन थे

ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे


वो गलियां जहां तेरा बचपन है गुज़रा

जहां देखते हैं सभी तेरा रास्ता

वहीं लौट के अब तो जाने के दिन थे


ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे


है बैठी हुई दर पे बीमार सुग़रा

तुझे लेने आऊंगा, था जिस से वादा

बहन को वतन से बुलाने के दिन थे


ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे

कहां तेरी मैयत उठान के दिन थे

ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे


तुझे नाज़ से ऐसे पाला फुफ़ी ने

दुआएं तुझे दी हैं खुद जिंदगी ने

निगाहों में तुझको बसने के दिन थे


ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे


शाहे दीं ये लशे पे कहते हैं रोकर

सकूं कैसे पाए भला क़ल्ब ए मुज़तर

सहारा तेरा अब तो पाने के दिन थे


ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे

कहां तेरी मैयत उठान के दिन थे

ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे


हर इक सुबह मादर ने जब तुझ को देखा

उतारी नज़र, तेरा सदक़ा उतरा

ऐ बेटा ये मन्नत बढ़ाने के दिन थे


ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे


तड़पती हुई कह रही है ये मादर

मेरी नौजावां ऐ मेरे लाल अकबर

कलेजे से तुझको लगाने के दिन थे


ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे


था इज़हार और शादमा, गम का मंज़र

लिपट कर जो लाशे से कहती थी मादर

ये नहीं शाह तुझ को बने के दिन थे


ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे


कहां तेरी मैयत उठान के दिन थे

ऐ अकबर ये सेहरा सजाने के दिन थे