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Thursday, June 19, 2025

भूल गए क्यूं मेरे बाबा

🤲 ANJUMAN-E-ZULFEQARE HAIDERI-MAHOLI

🕊️ भूल गए क्यों मेरे बाबा सुग़रा आस‌‌‌‌ लगाए🕊️

छोड़ केे ऐसे अपने वतन को दूर न कोई जाए





फुलों केे रुख पर है उदसी और चमन वीरां वीरां है
उजड़ा हुआ लगता है मदीना ख्वाबों का गुलशन सूना है
तकती रहती हूँ मैं रस्ता कोई संदेसा लाए

गैर हुई है हालत मेरी जब से तुम परदेस सिधारे
रो रो केे कटी हैं रातें दिन मैंने गिन गिन केे गुज़ारे
आये पारिन्दे अपने वतन को तुम न पलट केे आये

बहरे ग़म आँखों से रवां है चारों तरफ अब तन्हाई है
शक्ल नबी की पाने वाला तू ही मेरी बीनाई है
ये भी कोई जीना है भइया मौत मुझे आ जाये

रो रो के करती हूँ दुआएं मुझको मेरे यूसुफ़ से मिला दे
कैसा है नन्हा सा असग़र बादे सबा पैग़ाम सुना दे
बीमारी में किससे बहना अपना दिल बहलाये

छोड़ गए क्यों मुझको तड़पता कुछ तो कहो क्या मेरी ख़ता है
होंठों पे ऐ मेरे बाबा हर लम्हा बस इक शिकवा है
चारों तरफ वीराना है हर सिम्त अजल के साये

जीती है इस आस में सुगरा आओगे इक रोज़ पलट कर
वादा जो सुगरा से किया था भूल न जाना भईया अकबर
दर पे खड़ी है तेरी बहना कब से आस लगाये

या तो अपने पास बुलाओ या खुद ही वापस आ जाओ
कुल केे मसीहा वारिसे क़ुरआं मिस्ल नबी एजाज़ दिखाओ
दादी ज़हरा केे सदक़े में मेरी दुआ बर आये



बीनाई आँखों की हुई कम दिल ने धड़कना छोड़ दिया है
सुबहो मशा ज़ीशान ये दुखिया के होठों पर इक शिकवा है
अमजद किस अफत में घिरे हैं सुगरा केे हमसाये