कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
कैद से जाते हैं हम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
खुल गई जंजीर सब खुल गया ज़िंदान भी
हो गए आज़ाद हम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
याद वतन की तुम्हें ख़ून रुलाती रही
जाते हैं देखो हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
सब्र की तुम हो इमाम कूफ़ा से बाज़ारे शाम
तुमने सहे कितने ग़म बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
छोटी सी इस उम्र में कितने बड़े ग़म सहे
हाय वो दर्दो अलम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
खुश्क़ गले में रसन कैसे भुलाएंगे हम
नन्हीं सी जां पर सितम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
सब ही वतन में रहें तुम रहो परदेस में
कैसे सहोगी ये ग़म बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
क़ब्र अंधेरे में है कैसे चराग़ां करें
है बड़े मजबूर हम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
सुनके सदाये अख़ीं क़ब्रे सकीना हिली
रोने लगे सब हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
वक़्त रेहाई नक़ी नन्ही सी इस क़ब्र पर
कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से
कहते थे रोकर हरम बाली सकीना उठो घर चलो ज़िंदान से