डाल दो कोई ज़ख़्मों पे चादर
हाय! अकबर की मां आ रही है
सीना अकबर का रख्खो छुपाकर
हाय! अकबर की मां आ रही है
बिबियों मिलके हलक़ा बना लो
माँ जवां लाल की है संभालो
मर न जाए वो लाशे पे आकार
हाय! अकबर की मां आ रही है
देख लेगी अगर उम्मे लैला
अपने बच्चे का ज़ख़्मी कालेजा
सांस भी ले ना पाएगी मादर
हाय! अकबर की मां आ रही है
मन्नतें मानकर जिसको पला
उसके सीने में ज़ालिम का भाला
कैसे देखेगी मादर ये मंज़र
हाय! अकबर की मां आ रही है
जिसको दूल्हा बनाने के दिन थे
जिसकी शादी रचाने के दिन थे
उसको देखेगी मां ख़ून में तर
हाय! अकबर की मां आ रही है
कोई अरमान दिल का ना निकला
लुट गई उम्मे-लैला की दुनिया
बैन करने को लाशे-जवां पर
हाय! अकबर की मां आ रही है..
रख के ख़ैमे में अकबर का लशा
सर झुका कर बहुत रोए मौला
जब कहा बीबी फ़िज़्ज़ा ने रोकर
हाय! अकबर की मां आ रही है
बैन वाएज़ ये ख़ैमे में गूंजा
देख ले अपने यूसुफ़ का लाशा
ख़ाक उड़ाती हुई पीटती सर
हाय! अकबर की मां आ रही है